Maine Dekhe Hue Bapu (Hindi)

डॉ. अनिरुद्ध जोशीजी (बापूजी) के हरफनमौला व्यक्तित्व की पहचान करानेवाली, संक्षिप्त में संकलित की गई एक अनोखी पुस्तक – मैंने देखे हुए बापू।

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Matruvatsalyavindanam (Hindi)

यह परमपावन कार्य, जैसे इसका नाम दर्शाता है, माँ चंडिका के वात्सल्य का प्रत्यक्षीकरण है। सगुरु श्री अनिरुद्ध रचित यह कार्य भक्तों को केवल महिषासुरमर्दिनी माता चंडिका के आदर्श, कार्य और भूमिका से ही जोड़ने के लिए नहीं है, बल्कि उसके वात्सल्य से और उसकी हमारी संरक्षा के प्रति तत्परता से हमें अवगत कराना है।
वे चाहते हैं कि हम माता के प्रेम को जानें और उस शक्ति को पहचाने – वह शक्ति जो दुष्टता या बुराई से लड़ने की है, वह शक्ति जो नैतिक गुण और भक्ति के परिणामों से निश्चल आनंद की प्राप्ति कराती है। वह भले ही उग्र दिखती हो, वही सच्ची भक्त की सुरक्षा करती है और दुष्टों का नाश करती है। उस ने अपने उद्देश्य के मुताबिक – सच्चाई, पवित्रता, प्रेम और आनंद के नियमों की सुरक्षा हेतु यह भूमिका अपनाई है और वह इसकी प्राप्ति करती ही है।
गायत्री माता, महिषासुरमर्दिनी चंडिका माता और अनसूया माता एक ही है। विभिन्न स्तर के कार्यों के अनुसार माता रूप धारण करती है। जैसा कि सद्गुरु श्री अनिरुद्ध कहते हैं, यह कार्य माता की कीर्तियों का गुणसंकीर्तन है। यह एक ‘ज्ञान-गंगा’ है, और ‘भक्ति-भागीरथी’ है। यह कार्य ज्ञान एवं भक्ति के पथ पर चलकर भगवंत या यहाँ पर माता चंडिका के बोध के प्रति संतोष प्रदान करता है।
यह चिरकाल तक मार्गदर्शन करनेवाला यह ग्रन्थ सद्गुरु श्री अनिरुद्ध जी द्वारा लिखे गए उन के अन्य कार्यों की तरह भक्तों को प्रेम और आधार देता है।


Rashtriya Swayamsevak Sangh - Vishwa Ka Adwitiya Sangathan (Hindi)

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना सन 1925 में हुई। डॉ. केशव बळीराम हेडगेवार ने नब्बे वर्ष पहले बोये हुए बीज का रूपान्तरण अब एक विशाल वटवृक्ष में हो चुका है। इस वटवृक्ष की शाखाएँ कितनीं, पत्ते कितने इसकी गिनती करना मुश्किल है। लेकिन यह संगठन भारतीय जनमानस में बहुत ही दृढ़तापूर्वक अपनी जड़ें फ़ैलाकर समर्थ रूप में खड़ा है और वटवृक्ष की ही गति एवं शैली में विकास कर रहा है। केवल देश में ही नहीं, बल्कि जहाँ कहीं भी भारतीय हैं, उन सभी देशों में संघ कार्यरत है ही। इतना ही नहीं, बल्कि विदेशस्थित भारतीयों को अपने देश के साथ, संस्कृति के साथ दृढ़तापूर्वक जोड़कर रखनेवाला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यह मात्र एक संगठन नहीं, बल्कि परंपरा बन चुका है।

 

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Shree Mahadurgeshwar Prapatti Pustika Hindi (set of 10)

Shree Mahadurgeshwar Prapatti Pustika Hindi – Print Copy (set of 10)


Shreeramrasayan (Hindi)

‘राम्रसायन’ सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापूजी रचित भगवन श्रीराम की जीवणी है मगर यह केवल अनुवाद नहीं है। ‘राम्रसायन’ भगवान श्रीराम की जीवनगाथा जरुर है, परन्तु कुछ हद तक यह घटनाएं हर युग में और सभी मानवों की जिंदगी में घटती हैं। हरएक की भूमिका – चाहे वे श्रीराम के सद्गुण हों या रावण की चरित्रहीनता हो, वे हर समय हमारे जीवन में घटते हैं। इन बातों को ‘प्रेमप्रवास’ (श्रीमाद्पुरुशार्थ ग्रंथराज का दूसरा भाग) में समझाया गया है। पाठक इन बातों को अपने जीवन से जोड़कर इन से निरंतर मार्गदर्शन पाता है। यह केवल अपनी पत्नी सीता को दुष्ट रावण के चुंगल से छुड़ाने की बात नहीं है। हम भक्तों के लिए मानो भगवान की यह लड़ाई भक्ति को प्रारब्ध के चुंगल से छुड़ाकर वहीँ ले जाने के लिए है जहाँ से वह आई है – भगवान के पास। भगवान एक सामान्य इन्सान की तरह जीवन व्यतीत करते हुए, उपलब्ध भौतिक साधनों की सहायता से और कठिन परिश्रम करते हुए पवित्र मार्ग पर चलकर बुराई पर विजय हासिल करते हैं। यह हमारी प्रेरणा के लिए है। यह पवित्र प्रेम, दृढ विश्वास और हनुमानजी के समर्पण के साथ साथ विपरीत परिस्थितियों में होते हुए बिभीषण के अटूट विश्वास के बारे में है। इस की वजह से यह एक ‘रसायन’ है – यह निरंतर पुनरुद्धार एवं वास्तविक शक्ति का जरिया है। एक ओर, यह हमें वानर सैनिक बनने की प्रेरणा देता है, जो भगवान और राजा श्रीराम के भक्त थे, तो दूसरी ओर सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापूजी कहते हैं कि यह रचना दत्तगुरु के चरणों में अर्पण रामगुणसंकीर्तन की पुष्पांजलि है।
और यही तो इस रचना की सुन्दरता है। इस रचना में चित्र विस्तृत और गूढ़ हैं जो हमें उन घटनाओं की गहराई तक ले जाते हैं मानो वे घटनाएँ हमारे समक्ष, हमारी जिंदगी में घट रही हैं।

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Swayambhagwan Trivikram (Harihar) Anantnamavali (Hindi)

Swayambhagwan (Harihar) Trivikram Anantnamavali – Hindi


The Third World War (Hindi)

तीसरा सह्स्त्रक शुरु होते – होते ही अर्थात ११ सितम्बर २००१ से विश्व का हर एक राष्ट्र अपनी अपनी रक्षा एवं भविष्याकालीन राजनीतिक रवैयों का नये से पुनर्विचार करने लगा। विश्व के अधिकतर प्रमुख राष्ट्रों को आतंकवादी चेहेरे की अच्छी खासी पहचान ईससे पूर्व ही हो चुकी थी। अमरिका एवं रशिया ने तो आतंकवादी संगठनों को प्रोत्साहित कर एक दुसरे के खिलाफ़ ऊनका ईस्तेमाल भी किया था।

 

 

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