Matruvatsalyavindanam (Hindi)

300

यह परमपावन कार्य, जैसे इसका नाम दर्शाता है, माँ चंडिका के वात्सल्य का प्रत्यक्षीकरण है। सगुरु श्री अनिरुद्ध रचित यह कार्य भक्तों को केवल महिषासुरमर्दिनी माता चंडिका के आदर्श, कार्य और भूमिका से ही जोड़ने के लिए नहीं है, बल्कि उसके वात्सल्य से और उसकी हमारी संरक्षा के प्रति तत्परता से हमें अवगत कराना है।
वे चाहते हैं कि हम माता के प्रेम को जानें और उस शक्ति को पहचाने – वह शक्ति जो दुष्टता या बुराई से लड़ने की है, वह शक्ति जो नैतिक गुण और भक्ति के परिणामों से निश्चल आनंद की प्राप्ति कराती है। वह भले ही उग्र दिखती हो, वही सच्ची भक्त की सुरक्षा करती है और दुष्टों का नाश करती है। उस ने अपने उद्देश्य के मुताबिक – सच्चाई, पवित्रता, प्रेम और आनंद के नियमों की सुरक्षा हेतु यह भूमिका अपनाई है और वह इसकी प्राप्ति करती ही है।
गायत्री माता, महिषासुरमर्दिनी चंडिका माता और अनसूया माता एक ही है। विभिन्न स्तर के कार्यों के अनुसार माता रूप धारण करती है। जैसा कि सद्गुरु श्री अनिरुद्ध कहते हैं, यह कार्य माता की कीर्तियों का गुणसंकीर्तन है। यह एक ‘ज्ञान-गंगा’ है, और ‘भक्ति-भागीरथी’ है। यह कार्य ज्ञान एवं भक्ति के पथ पर चलकर भगवंत या यहाँ पर माता चंडिका के बोध के प्रति संतोष प्रदान करता है।
यह चिरकाल तक मार्गदर्शन करनेवाला यह ग्रन्थ सद्गुरु श्री अनिरुद्ध जी द्वारा लिखे गए उन के अन्य कार्यों की तरह भक्तों को प्रेम और आधार देता है।